Monday, July 16, 2012

Durga Chalisa with aarthi







































नमो नमो दुर्गे सुख करनी. 
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी.
निरंकार है ज्योति तुम्हारी. 
तिहूँ लोक फ़ैली उजियारी.||

शशी ललाट मुख महा विशाला. 
नेत्र लाल भृकुटी विकराला.
रुप मातु को अधिक सुहावे. 
दरश करत जन अति सुख पावे.||

तुम संसार शक्ति लय कीना. 
पालन हेतु अन्न धन धन दीना.
अन्न्पूर्णा हुई जग पाला. 
तुम ही आदि सुन्दरी बाला.||

प्रलयकाल सब नाशन हारी. 
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी.
शिव योगी तुम्हारे गुण गावे. 
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें.||

रुप सरस्वती का तुम धारा.
 दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा.
धरा रुप नरसिंह को अम्बा. 
प्रकट भई फ़ाड़ कर खम्बा.||

रक्षा कर प्रहलाद बचायो.
 हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो.
लक्ष्मी रुप धरो जग माहीं. 
श्री नारायण अंग समाहीं.||

क्षीरसिन्धु में करत विलासा.
 दया सिन्धु दीजै मन आसा.
हिंगलाज में तुम्ही भवानी,
 महिमा अमित न जात बखानी.||

मातंगी धूमावती माता. 
भूवनेश्वरी बगला सुखदाता.
श्री भैरव तारा जग तारणि.
 छिन्नभाल भव दुःख निवारिणी.||

केहरि वाहन सोहे भवानी.
 लांगुर बीर चलत अगवानी.
कर में खप्पर खड़्ग विराजै. 
जाको देख काल डर भाजै.||

सोहे अस्त्र और त्रिशूला. 
जाते उठत शत्रु हिय शूला.
नगर कोटि में तुम्ही विराजत.
 तिहूँ लोक में डंका बाजत.||

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे, 
रक्त बीज शंखन संहारे,
महिशासुर नृप अति अभिमानी.
 जेही अध भार मही अकुलानी.||

रुप कराल कालिका धारा. 
सेन सहित तुम तिहि संहारा.
परी गाढ़ संतन पर जब जब, 
भई सहाय मातु तुम तब तब||

. अमर पुरी अरु बासव लोका. 
तव महिमा सब कहे अशोका.
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी. 
तुम्हें सदा पूजें नर नारी.||

 प्रेम भक्ति से जो यश गावें.
 दुःख दरिद्र निकट नही आवे.
जोगी सुर नर कहत पुकारी. 
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी.||

शंकर आचारज तप कीनो. 
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो.
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को. 
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको.||

शक्ति रुप को मरम न पायो. 
शक्ति गई तब मन पछतायो.
शरणागत हुई कीर्ति बखानी. 
जय जय जय जगदम्ब भवानी.||

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा. 
दई शक्ति नहिं कीन बिलम्बा.
मोको मात कश्ट अति घेरो. 
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो.||

आशा तृश्णा निपट सतावे. 
रिपु मूरख मोहि अति डर पावै.
शत्रु नाश कीजै महारानी. 
सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी.||

करो कृपा हे मातु दयाला. 
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला.
जब लगि जियौ दया फ़ल पाऊं,
 तुम्हरे यश में सदा सुनाऊं.||

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै. 
सब सुख भोग परम पद पावै.
देवीदास शरण निज जानी. 
करहु कृपा जगदम्ब भवानी||

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