Thursday, July 19, 2012

Hanuman chalisa with Aarti

दोहा
श्री गुरु चरण सरज राज , निज मनु मुकुर सुधारे |बरनौ रघुबर बिमल जासु , जो धयक फल चारे ||
बुधिहिएँ तनु जानके , सुमेराव पवन -कुमार |बल बूढी विद्या देहु मोहे , हरहु कलेस बिकार ||
चोपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर |जय कपिसे तहु लोक उजागर || राम दूत अतुलित बल धामा |अनजानी पुत्र पवन सूत नामा ||
महाबीर बिक्रम बज्रगी |कुमति निवास सुमति के संगी || कंचन बरन बिराज सुबेसा |कण कुंडल कुंचित केसा ||
हात वज्र औ दहेज बिराजे |कंधे मुज जनेऊ सजी || संकर सुवन केसरीनंदन |तेज प्रताप महा जग बंधन ||
विद्यावान गुने आती चतुर |राम काज कैबे को आतुर || प्रभु चरित सुनिबे को रसिया |राम लखन सीता मान बसिया ||
सुषम रूप धरी सियाही दिखावा |बिकट रूप धरी लंक जरावा || भीम रूप धरी असुर सहरइ |रामचंद्र के काज सवारे ||
लाये संजीवन लखन जियाये |श्रीरघुवीर हर्षा उरे लाये || रघुपति किन्हें बहुत बड़ाई |तुम मम प्रिये भारत सम भाई ||
सहरत बदन तुमर्हू जस गावे |आस कही श्रीपति कान्त लगावे || संकदीक भ्रमधि मुनीसा |नारद सरद सहित अहिसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहा थी |कवी कोविद कही सके कहा थी || तुम उपकार सुघुव कहिन |राम मिलाये राज पद देंह ||
तुम्रहो मंत्र विभेक्षण मन |लंकेश्वर भये सब जग जान || जुग सहेस जोजन पैर भानु |लिन्यो ताहि मधुर फल जणू ||
प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहि |जलधि लाधी गए अचरज नहीं || दुर्गम काज जगत के जेते |सुगम अनुग्रह तुमरे तेते ||
राम दुआरे तुम रखवारे |हूट न आगया बिनु पसरे || सब सुख लहै तुम्हरे सरना |तुम रचक कहू को डारना ||
आपण तेज सम्हारो आपे |तेनो लोक हकतइ कापे || भुत पेसच निकट नहीं आवेह |महावीर जब नाम सुनावेह ||
नसे रोग हरे सब पीरा |जपत निरंतर हनुमत बल बीरा || संकट से हनुमान चुदावे |मान कम बचन दायाँ जो लावे ||
सब पैर राम तपस्वी रजा |तिन के काज सकल तुम सजा || और मनोरत जो कई लावे |टसुये अमित जीवन फल पावे ||
चारो गुज प्रताप तुमारह |है प्रसिद्ध जगत ujeyara || साधू संत के तुम रखवारे |असुर निकंदन राम दुलारे ||
Ashat सीधी नवनिधि के डाटा |अस वर दीं जानकी माता || राम रसायन तुम्हरे पासा |सदा रहो रघुपति के दस ||
तुम्रेह भजन राम को भावे | जनम जनम के दुःख बिस्रावे || अंत काल रघुबर पुर जी | जहा जनम हरी भगत कहेई ||
और देवता चितन धरयो | हनुमत सेये सर्व सुख करेई || संकट कटे मिटे सब पर | जो सुमेरे हनुमत बलबीर ||
जय जय जय हनुमान गुसाई | कृपा करो गुरु देव के नाइ || जो सैट बार पट कर कोई | चुतेही बंधी महा सुख होई ||
जो यहे पड़े हनुमान चालीसा | होए सीधी सा के गोरेसा || तुलसीदास सदा हरी चेरा | कीजेये नाथ हृदये महा डेरा ||
दोहा
पवंत्नाये संकट हरण , मंगल मूर्ति रूप | राम लखन सीता सहेत , हृदये बसु सुर भूप ||


Apad uddharana Hanumath stotram:



Apad  akhila lokarthi harine, hanumathe,
Akasmad aagathothpada nasaya, namosthuthe.                           1

Hey Hanuman , who removes dangers of all the world,
And who destroys all accidental dangers, my salutations.

Sita viyuktha Sri Rama  soka dukjha bhayapaha,
Thapa thrithya samharin anjaneya , namosthuthe.                        2

Hey Hanuman who removed sorrow , pain and fear ,
From Lord Rama who has parted with his wife Sita,
And who destroys the three types of pains,
My salutations to the, son of Anjana.

Adhi vyadhi mahamari graham peedapa harine,
Pranapa harthe daithyanam , anjaneya namosthuthe.                    3

Hey Hanuman, who removes sorrow , diseases,
Epidemics and problems created by planets,
And who steals away the souls of Rakshasas,
My salutations to the, son of Anjana.

Samsara sagara vartha  karthavya brantha chethasaam,
Saranagatha marthyaanaam , saranyaya namosthuthe.                   4

My salutations to him who gives protection,
To the men who seek protection from him,
With a confused my mind created by,
The sea of this miserable life.

Raja dwari, bila dwari  pravesa, bhootha sankule,
Gaja simha maha vyagra  chora bheeshana kanane,                         5

Saranaya saranyaya  vathathmaja, namosthuthe,
Nama plavanga sainyanaam prana bhoothathmane nama.                 6

My salutations are due to son of the God of wind,
Who is the protector,  who offers protection  to those,
Trying to enter  the gate of the palace or  in the opening of a cave,
And  who is  amidst collection of ghosts, in the deep forest,
In the company of elephants , lion, tiger and thieves,
My salutations to the soul of the army of monkeys.

Rameshtam karunapoornam Hanumantham bhayapaham,
Sathru nasa haram bheemam SArvabheeshta phala pradham.               7

My salutations to the darling of Rama  who is full of mercy,
Who is the fearful Hanuman, , who destroys his enemies,
Who is gross and who fulfills all our wishes.

Pradoshe va prabathe va  ye smareth anjana sutham,
Artha sidhim yasa sidhim  Prapnuvanthi na samsaya.                           8

He who remembers the son of Anjana,
Early in the morn or during pradosha time,
Would get wealth and become famous,
Without any doubt whatsoever.

Karagrahe  prayane cha samgrame desa viplave,
Ye smaranthi Hanumantham thesham naashthi vipad thada.                 9

Either in prison  or during travel,
Or during war or during revolt in the country,
Whosoever remembers Lord Hanuman,
Will not be subject to any danger.

Vajra dehaya kalagni rudhraya , amitha thejase,
Brahmasthra  sthambanayasmai  nama sri Rudra murthaye.                10

Oh God who has diamond like body,
Who is like the fire of Lord Shiva during deluge,
Who is  the exceeding powerful light,
Who benumbed the great arrow of Brahma,
Salutations to you , of very angry one.

Japthwa stotramidham manthram prathivaram paden nara,
Rajasthane , sthabhasthane pratha vadhe , japed Druvam,
Vibheeshana krutham stotram ya padeth prayatho nara,
Sarva apadbhyo vimuchetha nathra karya vicharana,                            11

The man who every week  reads or chants this mantra ,
Composed by Lord Vibheeshana ,
In king’s place , in a meeting or during arguments, would without fail,
And without any need for enquiry , come out of all dangers.

Markatesa , mahothsaha , sarva soka vinasaka,
Shathrun samhara maam raksha sreeyam cha adha pradehi may.         12

Oh lord of monkeys, who is exuberant and who can destroy all the world,
 Please destroy all my enemies, protect me and thus bless me.

Tuesday, July 17, 2012

Maha Mrityunjay mantra


"OM. We worship and adore you, O three-eyed one, O Shiva. You are sweet gladness, the fragrance of life, who nourishes us, restores our health, and causes us to thrive. As, in due time, the stem of the cucumber weakens, and the gourd is freed from the vine, so free us from attachment and death, and do not withhold immortality."

Gayatri mantra

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः ।तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यं ।
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि। ।धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥ ।

Meaning: "May we attain that excellent glory of Savitar the god: So may he stimulate our prayers."

Monday, July 16, 2012

Durga Chalisa with aarthi







































नमो नमो दुर्गे सुख करनी. नमो नमो अम्बे दुःख हरनी.निरंकार है ज्योति तुम्हारी. तिहूँ लोक फ़ैली उजियारी.
शशी ललाट मुख महा विशाला. नेत्र लाल भृकुटी विकराला.रुप मातु को अधिक सुहावे. दरश करत जन अति सुख पावे.
तुम संसार शक्ति लय कीना. पालन हेतु अन्न धन धन दीना.अन्न्पूर्णा हुई जग पाला. तुम ही आदि सुन्दरी बाला.
प्रलयकाल सब नाशन हारी. तुम गौरी शिव शंकर प्यारी.शिव योगी तुम्हारे गुण गावे. ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें.
रुप सरस्वती का तुम धारा. दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा.धरा रुप नरसिंह को अम्बा. प्रकट भई फ़ाड़ कर खम्बा.
रक्षा कर प्रहलाद बचायो. हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो.लक्ष्मी रुप धरो जग माहीं. श्री नारायण अंग समाहीं.
क्षीरसिन्धु में करत विलासा. दया सिन्धु दीजै मन आसा.हिंगलाज में तुम्ही भवानी, महिमा अमित न जात बखानी.
मातंगी धूमावती माता. भूवनेश्वरी बगला सुखदाता.श्री भैरव तारा जग तारणि. छिन्नभाल भव दुःख निवारिणी.
केहरि वाहन सोहे भवानी. लांगुर बीर चलत अगवानी.कर में खप्पर खड़्ग विराजै. जाको देख काल डर भाजै.
सोहे अस्त्र और त्रिशूला. जाते उठत शत्रु हिय शूला.नगर कोटि में तुम्ही विराजत. तिहूँ लोक में डंका बाजत.
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे, रक्त बीज शंखन संहारे.महिशासुर नृप अति अभिमानी. जेही अध भार मही अकुलानी.
रुप कराल कालिका धारा. सेन सहित तुम तिहि संहारा.परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब
. अमर पुरी अरु बासव लोका. तव महिमा सब कहे अशोका.ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी. तुम्हें सदा पूजें नर नारी. प्रेम भक्ति से जो यश गावें. दुःख दरिद्र निकट नही आवे.जोगी सुर नर कहत पुकारी. योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी.
शंकर आचारज तप कीनो. काम अरु क्रोध जीति सब लीनो.निशिदिन ध्यान धरो शंकर को. काहु काल नहिं सुमिरो तुमको.
शक्ति रुप को मरम न पायो. शक्ति गई तब मन पछतायो.शरणागत हुई कीर्ति बखानी. जय जय जय जगदम्ब भवानी.
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा. दई शक्ति नहिं कीन बिलम्बा.मोको मात कश्ट अति घेरो. तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो.
आशा तृश्णा निपट सतावे. रिपु मूरख मोहि अति डर पावै.शत्रु नाश कीजै महारानी. सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी.
करो कृपा हे मातु दयाला. ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला.जब लगि जियौ दया फ़ल पाऊं, तुम्हरे यश में सदा सुनाऊं.
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै. सब सुख भोग परम पद पावै.देवीदास शरण निज जानी. करहु कृपा जगदम्ब भवानी
.