Wednesday, July 11, 2012

Shiv Chalisa and aarthi

श्री शिव चालीसा दोहा श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनंत अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । यहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥
मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । नारद शारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं ताके रहे कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान । अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
॥ इति शिव चालीसा ॥

Shiv chalisa in english
Jai Ganesh Girija Suvan Mangal Mul Sujan Kahat Ayodhya Das Tum Dev Abhaya Varadan
Jai Girija Pati Dinadayala Sada Karat Santan Pratipala Bhala Chandrama Sohat Nike Kanan Kundal Nagaphani Ke
Anga Gaur Shira Ganga Bahaye Mundamala Tan Chhara Lagaye Vastra Khala Baghambar Sohain Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain
Maina Matu Ki Havai Dulari Vama Anga Sohat Chhavi Nyari Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari Karat Sada Shatrun Chhayakari
Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise Sagar Madhya Kamal Hain Jaise Kartik Shyam Aur Ganara-U Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Ka-U

Devan Jabahi Jaya Pukara Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara Kiya Upadrav Tarak Bhari Devan Sab Mili Tumahi Juhari
Turata Shadanana Apa Pathayau Lava-Ni-Mesh Mahan Mari Girayau Apa Jalandhara Asura Sanhara Suyash Tumhara Vidit Sansara
Tripurasur Sana Yudha Macha-I Sabhi Kripakar Lina Bacha-I Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari Purva Pratigya Tasu Purari
Danin Mahan Tum Sama Kou Nahin Sevak Astuti Karat Sadahin Veda Nam Mahima Tab Ga-I Akatha Anandi Bhed Nahin Pa-I
Pragate Udadhi Mantan Men Jvala Jarat Sura-Sur Bhaye Vihala Kinha Daya Tahan Kari Sara-I Nilakantha Tab Nam Kaha-I
Pujan Ramchandra Jab Kinha Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari Kinha Pariksha Tabahin Purari
Ek Kamal Prabhu Rakheu Joi Kushal-Nain Pujan Chaha Soi Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var
Jai Jai Jai Anant Avinashi Karat Kripa Sabake Ghat Vasi Dushta Sakal Nit Mohin Satavai Bhramat Rahe Mohin Chain Na Avai
Trahi-Trahi Main Nath Pukaro Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro Lai Trishul Shatrun Ko Maro Sankat Se Mohin Ana Ubaro
Mata Pita Bhrata Sab Hoi Sankat Men Puchhat Nahin Koi Svami Ek Hai Asha Tumhari Ava Harahu Aba Sankat Bhari
Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin Jo Koi Janche So Phal Pahin Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari Kshamahu Nath Aba Chuka Hamari
Shankar Ho Sankat Ke Nishan Vighna Vinashan Mangal Karan Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan Sharad Narad Shisha Navavain
Namo Namo Jai Namah Shivaya Sura Brahmadik Par Na Paya Jo Yah Patha Karai Man Lai Tapar Hota Hai Shambhu Saha-I
Riniyan Jo Koi Ho Adhikari Patha Karai So Pavan Hari Putra-hin Ichchha Kar Koi Nischaya Shiva Prasad Tehin Hoi
Pandit Trayodashi Ko Lavai Dhyan-Purvak Homa Karavai Trayodashi Vrat Kare Hamesha Tan Nahin Take Rahe Kalesha
Dhupa Dipa Naivedya Charhavai Anta Vasa Shivapur Men Pavai Kahai Ayodhya Asha Tumhari Jani Sakal Dukha Harahu Hamari .
Nitya Nema kari Pratahi Patha karau Chalis Tum Meri Man Kamana Purna Karahu Jagadish

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